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Israel-Hezbollah Conflict: Hezbollah Launches Over 100 Rockets After Pager Attack, Escalating Tensions

इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच का संघर्ष कोई नया नहीं है। यह दशकों से चला आ रहा एक जटिल संघर्ष है, जिसमें राजनीति, धर्म, और क्षेत्रीय वर्चस्व की लड़ाई शामिल है। हिज़्बुल्लाह, जो एक शिया मुस्लिम आतंकवादी संगठन और राजनीतिक दल है, की जड़ें लेबनान में हैं और इसे ईरान का समर्थन प्राप्त है। इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच का संघर्ष 1980 के दशक में लेबनान में इजराइल की सैन्य घुसपैठ से शुरू हुआ और 2006 में एक बड़े युद्ध के रूप में सामने आया। हाल के वर्षों में दोनों पक्षों के बीच तनाव कभी-कभी सुलगता रहा है, जो कुछ समय बाद हिंसक रूप ले लेता है।

पेजर हमले की घटना

हाल ही में हुए एक पेजर हमले के बाद, इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच तनाव एक बार फिर से चरम पर पहुंच गया है। हिज़्बुल्लाह ने इजराइल के एक पेजर स्टेशन को निशाना बनाते हुए हमला किया, जिसमें कई इजराइली सैनिक घायल हो गए। यह हमला इजराइल और लेबनान की सीमा के निकट हुआ, और इसने दोनों पक्षों के बीच एक नए संघर्ष को जन्म दिया।

इजराइल ने इस हमले को अपनी संप्रभुता पर हमला मानते हुए तुरंत जवाबी कार्रवाई शुरू की। इजराइल के सैन्य बलों ने हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर हवाई हमले किए और तोपखाने का उपयोग करते हुए आतंकवादी समूह की कई स्थानों को निशाना बनाया। इसके जवाब में, हिज़्बुल्लाह ने भी आक्रामक प्रतिक्रिया दी और 100 से अधिक रॉकेट इजराइल के क्षेत्रों में दागे, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया।

हिज़्बुल्लाह की प्रतिक्रिया

पेजर हमले के बाद हिज़्बुल्लाह ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी और इजराइल पर बड़े पैमाने पर रॉकेट हमले शुरू किए। हिज़्बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह ने इस हमले को “संवेदनशील प्रतिक्रिया” के रूप में बताया और कहा कि यह इजराइल की आक्रामकता का जवाब है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर इजराइल ने अपनी सैन्य गतिविधियों को जारी रखा, तो हिज़्बुल्लाह और भी अधिक शक्तिशाली जवाब देगा।

हिज़्बुल्लाह ने इजराइल के उत्तरी क्षेत्र को निशाना बनाते हुए कात्यूशा और अन्य प्रकार के रॉकेटों का इस्तेमाल किया। इन हमलों से इजराइल के नागरिक क्षेत्रों में भय का माहौल बन गया। इजराइल के शहरों में सायरन बजने लगे, और लोग बंकरों में छिपने को मजबूर हो गए। हालांकि, इजराइल की अत्याधुनिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम, “आयरन डोम,” ने कई रॉकेटों को बीच में ही नष्ट कर दिया, जिससे बड़े पैमाने पर तबाही को टाला जा सका।

इजराइल की सैन्य रणनीति

इजराइल ने हिज़्बुल्लाह के रॉकेट हमलों का कड़ा जवाब दिया। इजराइल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने लेबनान में हिज़्बुल्लाह के कई ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए। इजराइल की सैन्य रणनीति का मुख्य उद्देश्य हिज़्बुल्लाह की सैन्य क्षमताओं को कमजोर करना और उनके रॉकेट लांचिंग पैड्स को नष्ट करना था।

आईडीएफ ने लेबनान के दक्षिणी हिस्से में कई हिज़्बुल्लाह ठिकानों पर बमबारी की, जिनमें उनके गोला-बारूद के भंडार और रॉकेट लांचिंग साइट्स शामिल थे। इजराइल ने दावा किया कि उनके हमलों से हिज़्बुल्लाह को भारी नुकसान हुआ है और उनकी हमलावर क्षमता काफी हद तक कमजोर हो गई है।

इजराइल ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी कार्रवाई आत्मरक्षा के तहत की जा रही है, और वे किसी भी स्थिति में अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं करेंगे। इजराइल के प्रधानमंत्री ने इस बात को दोहराया कि उनकी सरकार हिज़्बुल्लाह जैसे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कोई नरमी नहीं बरतेगी और अगर जरूरत पड़ी तो वे और अधिक सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार हैं।

क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच बढ़ते तनाव ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। संयुक्त राष्ट्र और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि इस प्रकार के संघर्ष पूरे क्षेत्र की शांति और स्थिरता को खतरे में डाल सकते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस संघर्ष में इजराइल का समर्थन करते हुए कहा कि उसे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने का पूरा अधिकार है। अमेरिकी विदेश विभाग ने हिज़्बुल्लाह के रॉकेट हमलों की निंदा की और लेबनान सरकार से आग्रह किया कि वह हिज़्बुल्लाह की गतिविधियों पर लगाम लगाए।

वहीं दूसरी ओर, ईरान और सीरिया जैसे हिज़्बुल्लाह समर्थक देशों ने हिज़्बुल्लाह के पक्ष में बयान दिए। ईरान ने इजराइल की आक्रामकता की निंदा की और कहा कि वह हिज़्बुल्लाह के साथ खड़ा है। ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि इजराइल की नीतियां पूरे मध्य-पूर्व में अस्थिरता को बढ़ावा दे रही हैं और हिज़्बुल्लाह केवल अपनी आत्मरक्षा कर रहा है।

लेबनान की स्थिति

इस संघर्ष में लेबनान की स्थिति भी जटिल है। हिज़्बुल्लाह, जो लेबनान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, की गतिविधियां अक्सर लेबनानी सरकार के नियंत्रण से बाहर होती हैं। हालांकि लेबनान की सरकार ने इस संघर्ष को रोकने की अपील की है, लेकिन हिज़्बुल्लाह की स्वायत्तता और उसके ईरान समर्थित चरित्र के कारण इस स्थिति को नियंत्रित करना मुश्किल साबित हो रहा है।

लेबनान के लोग, जो पहले से ही आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहे हैं, इस नए संघर्ष से और भी अधिक परेशान हो गए हैं। लेबनान के कई क्षेत्रों में बिजली संकट, पानी की कमी, और बेरोजगारी की समस्या पहले से ही गहरा रही है, और इस युद्ध जैसी स्थिति ने उनके लिए जीवन और भी कठिन बना दिया है।

भविष्य की संभावनाएं

इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच चल रहे इस संघर्ष का अंत कब और कैसे होगा, यह कहना मुश्किल है। दोनों पक्षों की सैन्य ताकत और राजनीतिक समर्थन के कारण यह संघर्ष और लंबा खिंच सकता है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव और लेबनान की आंतरिक स्थिति को देखते हुए, यह संभावना है कि दोनों पक्ष अंततः एक राजनीतिक समाधान की ओर बढ़ सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इस संघर्ष को रोकने के लिए मध्यस्थता की कोशिश कर रही हैं। अगर दोनों पक्षों के बीच बातचीत शुरू होती है, तो यह संभव है कि संघर्ष को टाला जा सके और क्षेत्रीय शांति को बहाल किया जा सके। लेकिन अगर दोनों पक्ष अपनी आक्रामक नीतियों पर कायम रहते हैं, तो यह संघर्ष और भी गंभीर रूप ले सकता है, जिससे पूरे मध्य-पूर्व की स्थिरता खतरे में पड़ सकती है।

निष्कर्ष

इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच का यह संघर्ष केवल सैन्य नहीं है, बल्कि इसमें धर्म, राजनीति, और क्षेत्रीय शक्ति संघर्ष भी शामिल हैं। पेजर हमले के बाद हिज़्बुल्लाह की आक्रामक प्रतिक्रिया और इजराइल की कड़ी जवाबी कार्रवाई ने इस संघर्ष को और भी जटिल बना दिया है। दोनों पक्षों के बीच इस युद्ध जैसी स्थिति ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंतित कर दिया है, और यह देखना बाकी है कि यह संघर्ष किस दिशा में आगे बढ़ेगा।