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Illegal Vendors in Madhya Pradesh Trains: Rising Safety Concerns and RPF Collusion

मध्य प्रदेश की ट्रेनों में अवैध वेंडरों का दबदबा: यात्रियों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल* मध्य प्रदेश में रेलवे यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को...
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Illegal Vendors in Madhya Pradesh Trains: Rising Safety Concerns and RPF Collusion

मध्य प्रदेश की ट्रेनों में अवैध वेंडरों का दबदबा: यात्रियों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल*

मध्य प्रदेश में रेलवे यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। भोपाल जंक्शन से इटारसी स्टेशन के बीच चलने वाली ट्रेनों में अवैध वेंडरों का दबदबा इतना बढ़ चुका है कि वे खुलेआम न सिर्फ खान-पान की वस्तुएं, बल्कि नशे का सामान भी बेच रहे हैं। इस समस्या के चलते यात्रियों को न केवल आर्थिक रूप से ठगा जा रहा है, बल्कि उनकी सुरक्षा पर भी गंभीर संकट मंडरा रहा है।

अवैध वेंडरों का संगठित नेटवर्क

भोपाल, इटारसी, और बीना स्टेशन के बीच संचालित इन ट्रेनों में अवैध वेंडर एक संगठित तरीके से अपना व्यापार चला रहे हैं। ट्रेनों के प्लेटफॉर्म पर रुकते ही ये वेंडर बड़ी सहजता से कोचों में चढ़ जाते हैं और यात्रियों को अपनी वस्तुएं बेचने लगते हैं। अगले स्टेशन पर ये वेंडर उतर जाते हैं, जिससे आरपीएफ (रेलवे सुरक्षा बल) के अधिकारी या तो इनकी मौजूदगी को नज़रअंदाज़ कर देते हैं या फिर उनकी मिलीभगत होने का अंदेशा जताया जाता है। यह सारा कारोबार आरपीएफ की नाक के नीचे चल रहा है, लेकिन अवैध वेंडरों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई देखने को नहीं मिलती।

यात्रियों से ठगी और गुंडागर्दी

अवैध वेंडरों का मुख्य मकसद यात्रियों को ठगना है। यात्रियों से खान-पान की वस्तुओं की एमआरपी से अधिक कीमत वसूल की जाती है, और जब कोई यात्री इनसे आईआरसीटीसी प्रमाणपत्र मांगता है, तो उसे या तो नकली कार्ड दिखा दिया जाता है या फिर सीधे धमकाने की कोशिश की जाती है। यात्रियों से जबरदस्ती वसूली करने के मामले तो सामने आते ही रहते हैं, लेकिन कई बार इन वेंडरों द्वारा यात्रियों के साथ मारपीट भी की जाती है। इससे यात्रियों की यात्रा असुरक्षित हो जाती है और उनका रेलवे पर से भरोसा टूटता जा रहा है।

अवैध वेंडरों की गैंग और उनकी ताकत

ट्रेनों में अवैध वेंडरों का नेटवर्क बेहद संगठित और शक्तिशाली है। सूत्रों के अनुसार, बंटी पहलवान, भूरा खान, और सोनू भदोरिया जैसे बड़े नाम इस अवैध व्यापार के पीछे हैं, जिनकी टीम में लगभग 500 से अधिक लोग शामिल हैं। यह अवैध वेंडर बिना किसी पहचान पत्र के ही ट्रेन में चढ़कर अपना सामान बेचते हैं। इनका कारोबार इतना बड़ा और प्रभावशाली है कि आरपीएफ के अधिकारियों के साथ उनकी मिलीभगत की खबरें भी आम हो चुकी हैं। इन वेंडरों की गतिविधियों पर कार्रवाई न होने से यह साफ संकेत मिलता है कि आरपीएफ के कुछ भ्रष्ट अधिकारी इस अवैध व्यापार में सीधे तौर पर शामिल हैं या फिर उनकी अनदेखी से यह व्यापार फल-फूल रहा है।

नशे के व्यापार का खतरा

सबसे गंभीर मामला यह है कि इन वेंडरों द्वारा न सिर्फ खान-पान की वस्तुएं बेची जा रही हैं, बल्कि नशे का सामान भी खुलेआम बेचा जा रहा है। गांजा और शराब जैसे मादक पदार्थ ट्रेन के कोचों में आसानी से यात्रियों को परोसे जा रहे हैं। यात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर यह एक गंभीर मुद्दा है। यदि इस अवैध व्यापार पर तत्काल रोक नहीं लगाई गई, तो इसका दुष्प्रभाव यात्रियों के साथ-साथ रेलवे की साख पर भी पड़ेगा।

आरपीएफ की मिलीभगत: एक गंभीर मुद्दा

सूत्रों की मानें तो आरपीएफ के कुछ अधिकारी इस अवैध व्यापार में शामिल हैं। अवैध वेंडरों और आरपीएफ के अधिकारियों के बीच का यह गठजोड़ रेलवे को भारी नुकसान पहुंचा रहा है। अवैध वेंडरों के चलते रेलवे को हर साल राजस्व में करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है, जबकि यात्रियों की सुरक्षा से भी समझौता किया जा रहा है। आरपीएफ के कमांडेंट प्रशांत यादव का नाम विशेष रूप से सामने आया है, जिन पर अवैध वेंडरों के साथ सांठगांठ के आरोप लगाए जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि रेलवे सुरक्षा बल, जो यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालता है, खुद इस गैरकानूनी धंधे का हिस्सा बन चुका है।

समाधान की जरूरत

अवैध वेंडरों की इस समस्या का समाधान तुरंत होना चाहिए। रेलवे प्रशासन को इन वेंडरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और आरपीएफ के उन अधिकारियों को दंडित करना चाहिए जो इस अवैध गतिविधि में शामिल हैं। यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ट्रेनों में नियमित रूप से चेकिंग होनी चाहिए और अवैध वेंडरों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। साथ ही, नशे के सामान की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाई जानी चाहिए। रेलवे को अपने यात्रियों के विश्वास को पुनः प्राप्त करने के लिए इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान निकालना होगा।
निष्कर्ष

मध्य प्रदेश की ट्रेनों में अवैध वेंडरों का बढ़ता हुआ दबदबा एक गंभीर समस्या है, जो यात्रियों की सुरक्षा और रेलवे की छवि दोनों को नुकसान पहुंचा रहा है। अवैध वेंडरों और आरपीएफ अधिकारियों के बीच की सांठगांठ से यह समस्या और जटिल हो गई है। यदि इस पर तुरंत रोक नहीं लगाई गई, तो आने वाले समय में इसका प्रभाव और भी घातक हो सकता है।