“2024 में दीपावली: 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन के ज्योतिषीय और धार्मिक आधार
इस वर्ष दीपावली को लेकर इंदौर सहित क्षेत्र में संशय की स्थिति बनी हुई है। प्रमुख तिथि 31 अक्टूबर और 1 नवंबर के बीच लक्ष्मी पूजन का सही दिन क्या होगा, इस पर विद्वानों और ज्योतिषियों के बीच चर्चा जोर पकड़ रही थी। इस चर्चा का नतीजा सोमवार को इंदौर के संस्कृत महाविद्यालय में हुई विद्वत परिषद की बैठक में सामने आया। इस बैठक में मध्यप्रदेश के ज्योतिष और विद्वत परिषद के प्रमुख विद्वानों ने निर्णय लिया कि इस साल दीपावली 1 नवंबर को मनाई जानी चाहिए।
1 नवंबर को दीपावली का समर्थन
बैठक में 90% पंचांगकारों ने इस बात का समर्थन किया कि 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन करना शास्त्र सम्मत होगा। इस निर्णय का आधार यह था कि इस साल 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों दिन अमावस्या तिथि है, जो कि प्रदोष काल में भी आती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार जब दो दिन अमावस्या पड़ती है, तो दूसरे दिन का ग्रहण करना अधिक उचित होता है।
शास्त्रसम्मत तर्क और पंचांगों का महत्व
देशभर के 150 से अधिक पंचांगकारों का मानना है कि 1 नवंबर को दीपावली मनाना ही सही है। ज्योतिषाचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक ने स्पष्ट किया कि दो प्रकार के पंचांग होते हैं – एक दृश्य गणित पर आधारित और दूसरा लाघव पद्धति पर आधारित। पारंपरिक पंचांग जो दृश्य गणित पर आधारित होते हैं, वे अधिक सटीक माने जाते हैं, और इसी आधार पर 1 नवंबर को दीपावली मनाने का निर्णय लिया गया।
विशेष योग और ज्योतिषीय संयोग
1 नवंबर को स्वाति नक्षत्र, प्रीति योग और आयुष्मान योग का संयोग बन रहा है। यह दिन शुक्रवार को पड़ रहा है, जो लक्ष्मी का वार भी है। इसलिए ज्योतिष के अनुसार यह दिन लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष रूप से शुभ माना गया है। संस्कृत महाविद्यालय के विभागाध्यक्ष आचार्य विनायक पांडे ने भी शास्त्रों के अनुसार दूसरे दिन दीपावली मनाने का समर्थन किया।
दो दिवसीय अमावस्या का महत्व
अमावस्या तिथि पितरों के पूजन का दिन होता है। 31 अक्टूबर की अमावस्या को पितरों के लिए पूजन करके, अगले दिन यानी 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन करना शास्त्र सम्मत है। अगर लक्ष्मी पूजन के बाद पितरों का पूजन किया जाए तो यह धर्मशास्त्रों के अनुसार सही नहीं होता। इसलिए विद्वानों ने यह निर्णय लिया कि 1 नवंबर को दीपावली का पर्व मनाया जाएगा।
दीपोत्सव की तैयारी
दीपावली छह दिन का पर्व है, जो 29 अक्टूबर से धनतेरस के साथ शुरू होगा। 30 अक्टूबर को दीपदान किया जाएगा, जबकि रूप चौदस (उदयकालीन) 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। लक्ष्मी पूजन 1 नवंबर को किया जाएगा,
जिससे दीपावली का पर्व विधिपूर्वक संपन्न होगा।
व्यापारी और सराफा बाजार की स्थिति
सराफा बाजार में दीपावली का पाना अब तक तैयार नहीं हुआ है। हर वर्ष यह पाना पहले से तैयार हो जाता था, लेकिन इस बार तिथि को लेकर मतभेद के कारण पाना अब तक प्रकाशित नहीं हो पाया है। व्यापारियों ने भी इस निर्णय के बाद ही अपने कार्यक्रम को अंतिम रूप देने का विचार किया है।
निष्कर्ष
1 नवंबर को दीपावली मनाना ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टि से अधिक उचित माना गया है। यह निर्णय ज्योतिषियों और विद्वानों के गहन विचार-विमर्श के बाद लिया गया है, जो धर्मशास्त्रों और पंचांगों पर आधारित है। अब यह देखने की बात होगी कि इस निर्णय के बाद जनता किस प्रकार से इस पर्व को मनाने की तैयारी करती है।